हाथरस उत्तरप्रदेश प्रसंग

हाथरस उत्तर प्रदेश प्रसंग पर कुछ लिखने का प्रयास किया है …

एक ग्रामीण को विवाह के बहुत सालों बाद पुत्र हुआ लेकिन कुछ वर्षों बाद बालक की असमय मृत्यु हो गई……

ग्रामीण शव लेकर श्मशान पहुंचा, वह मोहवश उसे दफना नहीं पा रहा था, उसे पुत्र प्राप्ति के लिए किए जप-तप और पुत्र का जन्मोत्सव याद आ रहा था ……

श्मशान में एक गिद्ध और एक सियार रहते थे, दोनों शव देखकर बड़े खुश हुए, दोनों ने प्रचलित व्यवस्था बना रखी थी- दिन में सियार मांस नहीं खाएगा और रात में गिद्ध ……

सियार ने सोचा यदि ग्रामीण दिन में ही शव रखकर चला गया तो उस पर गिद्ध का अधिकार होगा, इसलिए क्यों न अंधेरा होने तक ब्राह्मण को बातों में फंसा कर रखा जाए ……

वहीं गिद्ध ताक में था कि शव के साथ आए कुटुंब के लोग जल्द से जल्द जाएं और वह उसे खा सके ……

गिद्ध ग्रामीण के पास गया और उससे वैराग्य की बातें शुरू की ……

गिद्ध ने कहा- हे मनुष्यों, आपके दु:ख का कारण यही मोहमाया ही है, संसार में आने से पहले हर प्राणी का आयु तय हो जाती है, संयोग और वियोग प्रकृति के नियम हैं ……

आप अपने पुत्र को वापस नहीं ला सकते, इस लिए शोक त्यागकर प्रस्थान करें, संध्या होने वाली है संध्याकाल में श्मशान प्राणियों के लिए भयदायक होता है, इसलिए शीघ्र प्रस्थान करना उचित है ……

गिद्ध की बातें ग्रामीण के साथ आए रिश्तेदारों को बहुत प्रिय लगीं, वे ग्रामीण से बोले- बालक के जीवित होने की आशा नहीं है, इसलिए यहां रूकने का क्या लाभ???

सियार सब सुन रहा था, उसे गिद्ध की चाल सफल होती दिखी तो भागकर ग्रामीण के पास आया ……

सियार कहने लगा- *बड़े निर्दयी हो* जिससे प्रेम करते थे, उसके मृत देह के साथ थोड़ा वक्त नहीं बिता सकते, फिर कभी इसका मुख नहीं देख पाओगे, कम से कम संध्या तक रूक कर जी भर के देख लो ……

उन्हें रोके रखने के लिए सियार ने नीति की बातें छेड़ दीं- *जो रोगी हो*, *जिस पर अभियोग लगा हो और जो श्मशान की ओर जा रहा हो उसे बंधु-बांधवों के सहारे की जरूरत होती है ……

सियार की बातों से परिजनों को कुछ तसल्ली हुई और उन्होंने तुरन्त वापस लौटने का विचार छोड़ा ……

अब गिद्ध को परेशानी होने लगी, उसने कहना शुरू किया, तुम ज्ञानी होने के बावजूद एक कपटी सियार की बातों में आ गए, एक दिन हर प्राणी की यही दशा होनी है *शोक त्याग कर अपने-अपने घर को जाओ ……

जो बना है वह नष्ट होकर रहता है, तुम्हारा शोक मृतक को दूसरे लोक में कष्ट देगा, जो मृत्यु के अधीन हो चुका क्यों रोकर उसे व्यर्थ कष्ट देते हो???

लोग चलने को हुए तो सियार फिर शुरू हो गया- यह बालक जीवित होता तो क्या तुम्हारा वंश न बढ़ाता? कूल का सूर्य अस्त हुआ है कम से कम सूर्यास्त तक तो रुको ……

अब गिद्ध को चिंता हुई गिद्ध ने कहा- मेरी आयु सौ वर्ष की है, मैंने आज तक किसी को जीवित होते नहीं देखा, तुम्हें शीघ्र जाकर इसके मोक्ष का कार्य आरंभ करना चाहिए ……

सियार ने कहना शुरू किया, जब तक सूर्य आकाश में विराजमान हैं, दैवीय चमत्कार हो सकते हैं, रात्रि में आसुरी शक्तियां प्रबल होती हैं, मेरा सुझाव है थोड़ी प्रतीक्षा कर लेनी चाहिए ……

सियार और गिद्ध की चालाकी में फंसा ग्रामीण परिवार तय नहीं कर पा रहा था कि क्या करना चाहिए, अंततः पिता ने बेटे का सिर में गोद में रखा और जोर-जोर से विलाप करने लगा, उसके विलाप से श्मशान कांपने लगा ……

तभी संध्या भ्रमण पर निकले महादेव-पार्वती वहां पहुंचे, *पार्वती जी ने बिलखते परिजनों को देखा तो दु:खी हो गईं उन्होंने महादेव से बालक को जीवित करने का अनुरोध किया ……

महादेव प्रकट हुए और उन्होंने बालक को सौ वर्ष की आयु दे दी, गिद्ध और सियार दोनों ठगे रह गए ……

गिद्ध और सियार के लिए आकाशवाणी हुई, तुमने प्राणियों को उपदेश तो दिया उसमें सांत्वना की बजाय तुम्हारा स्वार्थ निहित था, इसलिए तुम्हें इस निकृष्ट योनि से शीघ्र मुक्ति नहीं मिलेगी ……
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हाथरस की मृतक युवती और उसके परिवार के ऊपर जो बीत रही है उसका दर्द कोई दूसरा नहीं जान सकता, लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण अपराध पर जो लोग गिद्ध और सियार बनकर अपने राजनैतिक हित साधना चाह रहे हैं उन्हें सब जरूर पहचान रहे हैं ……

यहां गिद्ध की भूमिका में अगर कुछ राजनैतिक पार्टियों के लोग हैं तो सियार की भूमिका में मीडिया भी अपना काम बखूबी कर रहा है और नित नए संवेदनशील झूठ परोस रहा है ……

जिस पार्टी का मुखिया बलात्कार जैसी घटना को लड़कों से गलती हो जाती है कहकर मखौल उड़ाता था आज उस पार्टी के नेता भी गिद्ध की भूमिका में हैं ..

एक विशेष राज्य में जिस पार्टी के राज में जघन्य बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं उस पार्टी को भी अपने राज्य में नही बल्कि उत्तरप्रदेश की घटना में दिलचस्पी है ……

एक नया नीली टोपी वाला जातिगत नेता जिसे हर वह बलात्कार दिखाई नहीं देता जिसमें आरोपी इस्लामिक जेहादी होता है लेकिन उसकी हर उस अपराध में दिलचस्पी होती है जहां अपराधी हिन्दू होता है..

कुल मिलाकर गिद्धों और सियारों को पहचानिए, बाकी जिनके ऊपर इस प्रदेश की जिम्मेदारी है जिन्हें अपराधियों को पकड़कर पीड़ित परिवार को न्याय देना है वह उस दिशा में गंभीर कार्यवाही कर रहे हैं आवश्यक कार्यवाही हो रही है !

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