गद्दार तीतर


एक कहानी सुनी थी कि किसी￰ बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था! उसके पास सी जाली वाली बक्से में बहुत सारे तीतर थे और एक छोटे से बक्से में सिर्फ एक तीतर किसी ग्राहक ने उससे पूछा एक तीतर कितने का है? तो उसने जवाब दिया, एक तीतर की कीमत 40 रूपये है!
ग्राहक ने दूसरे बक्से में जो नन्हा तीतर: था उसकी कीमत पूछी तो तीतर वाले ने जवाब दिया! अव्वल तो मैं इसे बेचना ही नहीं चाहूंगा, लेकिन अगर आप लेने की जिद करोगे तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी. ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा, इसकी कीमत 500 रुपया क्यों?

इस पर तीतर वाले का जवाब था,ये मेरा अपना पालतू तीतर है! और दूसरे तीतरो को जाल में फसाने का काम करता है और दूसरे सभी फंसे हुए तीतर है! ये चीख पुकार करके दूसरे तीतरो को बुलाता है और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे एक जगह जमा हो जाते है और फिर मैं आसानी से शिकार कर पाता हूँ! इसके बाद फंसाने वाले तीतर को उसके मन पसंद की खुराक दे देता हूँ, जिससे ये खुश हो जाता है बस इस वजह से इसकी कीमत ज्यादा है!

उस ग्राहक ने पूछा आप इतने सारे तीतर रोज कैसे पकड़ते हो 
तो शिकारी दुकानदार बोला कि

जब मैं जंगल से तीतर पकड़ कर लाता हूँ तो उनमें से एकाद को पालता हूँ ,
उसे अपने घर पर अलग पिंजड़े में रखता हूँ और खूब काजू किशमिश बादाम खिलाता हूँ जब तीतर बड़ा हो जाता है तो उसे पिंजड़े के साथ ही लेकर जंगल जाता हूँ वहाँ जाल बिछाता हूँ और तीतर को वहीं पिंजड़े में रखकर खुद झाड़ी के पीछे छिप जाता हूँ ।
फिर
तीतर अपने मालिक के इशारे पर जोर जोर से चिल्लाता है....

उसकी आवाज़ को सुनकर जंगल के सारे तीतर ये सोचकर की ये अपनी कौम का है, जरूर किसी परेशानी में है।मदद करने के लिए खिंचे चले आते हैं और शिकारी के बिछाये हुए जाल में फंस जाते हैं।फिर शिकारी मुस्कुराते हुए आता है, पालतू तीतर को अलग कर वो सारे तीतरों को दूसरे झोले में रखकर घर ले जाता हूँ।

इसके बाद अपने पालतू तीतर के सामने ही पकड़े गए सारे तीतरों को एक- एक कर काटता हूँ । मगर पालतू तीतर उफ़ तक नही करता क्योंकि उसे
अपने हिस्से के खुराक काजू , किशमिश और बादाम से मतलब रहता है।

कमोबेश यही हालात आज के सभी जगह हो गये है। शिकारी ( नेताओ और उनके चमचों..) ने ऐसे ना जाने कितने तीतर पाल रखें हैं, जो अपने समाज को कटता तो देख सकतें हैं मगर उफ़ तक नहीं करते !

कोई अज्ञानवश तीतर बना हुआ है , कोई सत्ता और धन के लालच में तीतर बना हुआ  है....!

बाजार में उस समझदार आदमी ने उस तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर की सरे बाजार गर्दन मरोड़ दी! किसी ने पूछा, आपने ऐसा क्यों किया?
उसका जवाब था, ऐसे दगाबाज को जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं जो अपने फायदे के लिए अपने ही समाज को फंसाने का काम करे और अपने ही लोगो को धोखा दे।

साथियों अपने समाज में अपने आस पास ऐसे घटिया और गद्दार तीतरों की पहचान करे, इनसे सावधान रहे और ऐसे ऐसा सबक सिखाए कि ये घटिया और गद्दार तीतर कभी भी अपने समाज के साथ गद्दारी ना कर सके।


हम  हिंदुस्तानियों को बाँटने वाले तथाकथित नेता अपने पीछे चलने वाले , उनके झांसे में आने वालों का सौदा देश द्रोहियों के हाथों करके हमें कटवा देगें
और यूरोप अमेरिका में बस जायेगें
पीछे आपकी हमारी संताने कटती रहेगी ।
इसलिए शत्रु को पहचानो, तीतरों को पहचानों
और अपनी, अपने समाज की , अपने राष्ट्र की रक्षा करो......!
शत्रु जाल बिछा चुके हैं।

पर ये संदेश गिनती के लोगों तक पहुँचेगा क्योंकि आज भी बहुत बड़ा वर्ग इंटरनेट जैसे साधनों का उपयोग नहीं करता, गाँवों में फेसबुक पर 10-20  सक्रिय लोग नहीं मिलते जिससे वे इसे पढ़े।
इसलिए हमें घर घर तक पहुंचने और अपने अपने क्षेत्र में जान जागरण की योजनाओं को बनाना चाहिए।
लोगों को जातिवाद से दूर कर एकता लानी होगी, सनातन का विज्ञान और सिद्धांत बाँटाने होंगें
अन्यथा ऐसे गद्दार तीतर हिंदुस्तान में पैदा होते रहेगें....!

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